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Thursday, July 1, 2010

समर फील्ड स्कूल, कैलाश कालोनी का नो प्रोफिट-नो लॉस का खेल

समर फील्ड स्कूल, कैलाश कालोनी का नो प्रोफिट-नो लॉस का खेल
इनका धंधा, कभी नहीं पड़ा मंदा
हीरेन्द्र सिंह राठौड़ नई दिल्ली।
राजधानी के बड़े पब्लिक स्कूल नो प्रॉफिट नो लॉस के धंधे में खूब माहिर हैं। हर साल लाखों की कमाई इसी के सहारे हो रही है। खास बात यह कि इस खेल में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के सारे दिशा निर्देशों को पलीता लग रहा है। फिर भी अभिभावकों के साथ खुली लूट जारी है। कैलाश कालोनी स्थित समर फील्ड स्कूल में भी इसी तरह की अनियमितताएं पाई गई हैं। स्कूल ने विभिन्न गतिविधियों के नाम पर छात्रों से २००६ से २००९ के बीच १२०० से १४४० रुपए के बीच हर साल वसूली की।

इस अवधि में स्कूल ने इस मद में कुल १२७.०९ लाख रुपए की वसूली की। इसी अवधि में केवल ४७.२९ लाख रुपए खर्च किए गए।


स्कूल ने गलत ढंग से ७९.०८ लाख रुपए की कमाई की। स्कूल इस मामले में गतिविधि के अनुसार खर्चे का विवरण भी उपलब्ध नहीं करा सका।

स्कूल ने इन्हीं वर्षों में विज्ञान फीस के नाम २४० से ३२० रुपए हर छात्र स वसूले। कुल ६.५९ लाख रुपए इस खाते में आए। इस मद में स्कूल द्वारा केवल २.१५ लाख रुपए खर्च किए गए।


स्कूल ने इस गतिविधि के नाम पर ४.४४ लाख रुपए की कमाई की। नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर की गई यह वसूली यह शिक्षा निदेशालय के आदेशों का खुलेआम उल्लंघन है। यह सनसनीखेज खुलासा नियंत्रक महा लेखापरीक्षक द्वारा कराई गई ऑडिट जांच रिपोर्ट में हुआ है।

स्कूल ने २००६ से २००९ के बीच कम्प्यूटर फीस के नम पर भी ६५.२९ लाख रुपए वसूले। इसी दौरान स्कूल ने केवल १३.७३ लाख रुपए खर्च किए। इससे स्कूल को ५१.५६ लाख रुपए की मोटी कमाई की। मामले में स्कूल द्वारा दी गई सफाई को कैग ने अमान्य करार दिया। ऑडिट इंस्पेक्शन रिपोर्ट में कहा गया है कि समर फील्ड स्कूल के पास पर्याप्त मात्रा में धन था। इसके बावजूद छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक कर्मचारियों को बकाए के भुगतान के नाम पर नियमों को ता पर रखकर हर छात्र से ३५०० रपए की वसूली की। स्कूल के खाते में ३.३० करोड़ रुपए मौजूद थे। जबकि केवल १.९६ लाख रुपए का भुगतान किया जाना था। फिर भी ९५ लाख रुपयों की उगाही की गई।

छात्र निधि के नाम पर भी नियमों को ताक पर रखकर छात्रों से मोटी कमाई की। स्कूल ने तीन साल के अंदर १०२.८६ लाख रुपए की उगाही की। स्कूल ने शिक्षा निदेशालय के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी है और मामला अदालत में लंबित है। रिपोर्ट के मुताबिक विकास शुलक अगस्त २००८ तक १२०० से १८०० रुपए हर छात्र से लिया जाता था। स्कूल ने १ सितंबर २००८ से बढ़ाकर इसे ३७२० रुपए प्रति छात्र कर दिया। २००६ से २००९ तक विकास शुल्क के नाम पर कुल १४५.१९ लाख रुपए छात्रों से वसूले गए। जबकि इस मद में इन वर्षों में केवल ९.९६ लाख रुपए ही खर्च किए गए। स्कूल ने छात्रों की जमानत राशि को भी वापस नहीं किया। स्कूल के पास २४.५६ लाख रुपए जमानत राशि के रूप में जमा थे। इंस पेशन रिपोर्ट में स्कूल द्वरा दूसरे कई नियमों के उल्लंघन की भी चर्चा की गई है।


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